डर लागे, डर लागे, डर लागेडर लागे और हाँसी आवे लिरिक्स
डर लागे, डर लागे, डर लागे
डर लागे और हाँसी आवे,
अजब जमाना आया रे,अजब जमाना आया रे,
डर लागे, डर लागे,
धन दौलत से भरा खजाना, वैश्या नाच नचाया रे
मुट्ठी अन्न जो साधू माँगे,कहे अनाज नहीं आया रे,
कहे अनाज नहीं आया रे, कहे अनाज नहीं आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
कथा होय तहाँ श्रोता सोवे, वक्ता मूढ़ पचाया रे
होय कहीं स्वांग तमाशा, तनिक ना नींद सताया रे,
तनिक ना नींद सताया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
भाँग, तमाखू, सुलफा, गाँजा, सूखा खूब उड़ाया रे
गुरुचरणामृत नेम ना धारे, मधुआ चाखन आया रे,
भाँग, तमाखू, सुलफा, गाँजा, सूखा खूब उड़ाया रे
गुरुचरणामृत नेम ना धारे, मधुआ चाखन आया रे,
मधुआ चाखन आया रे, मधुआ चाखन आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
उलटी चलन चली दुनिया में, ताते जी घबराया रे,
कहत कबीर सुनों भाई साधो, का पाछे पछताया रे,
का पाछे पछताया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
डर लागे, डर लागे,
डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे,
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